Saturday, September 28, 2013

Triveni

Triveni is a form of poetry invented by Gulzar.

As we all know, Triveni is the sangam of three rivers, Ganga, Jamuna, and Saraswati. The first two lines of a Triveni represent Ganga and Jamuna, and provide complete meaning to the topic. However, the third line, Saraswati provides a completely new dimension to what’s being said. 

Triveni is about the third line, which gives new dimension to the verse.

Triveni: kuch nayee, kuch purani


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मैं भी एक गुल हूंॅ, मेरे अंदर भी छुपा गुलज़ार है
काग़ज़ पकड़ा, कलम उठाई, कसीदे लिख दिये

रात खुदा ने बताया, िसर्फ एक बनाया है उसने

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रात काली कर, काग़ज़ िघसे, स्याही खर्ची
तारीफ़ में तेरी, एक पूरी नज़्म लिख डाली

तूने नज़र डाली सवेरे, अखबार उठा लिया

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खर्चे कम करने का जो सिलसिला है
आज मैंने अखबार भी बंद करा दिया

तुम सारी दुनिया का हाल बता देते हो

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आसमान में लहराता काला बादल
जोर से बरसा था सूखी ज़मीन पर

वो प्यार नहीं, फ़ितरत थी उसकी

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एक आंॅधीं की तरह आती हो तुम
बिखर जाता है वज़ूद मेरा, पल में

आओ, फिर समेटा है खुद को मैंने

Triveni: kuch nayee, kuch purani


शुक्र है वो रोया लहू ज़ार-ज़ार
वो मेरे सामने, मेरी आंॅखों में है

न होता ग़र लहू, ठंडी लाश होती

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देखा अपने जिस्म को ज़मीं पर
अपनी मौत के कुछ लम्हों बाद

वो जो कुछ भी था, मैं नहीं था

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आइने में ही कुछ खराबी थी
दिखलाता न था, सूरतें असल

नर्म-दिल था, बेचारा आईना

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हसीन सा एक ख्वाब था
मेरे पहलू में, तुम बैठी थीं

गर ये दुनिया ख्वाब होती

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ग़मों को पलट कर देखो
शर्तिया खुशियंॅा मिलेंगीं

सिक्के के पहलू जो ठहरे

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सोना हुआ महंॅगा यारों
दिल शीशे में ढलवाया है

लो देखो चेहरा, दरारें भी

Sunday, September 8, 2013



गुलदस्ता


हर नज्म पर उसकी
एक फूल भेजता रहा,
वो भी सहेजती रही
गुलों को गुलदस्ते में

जब मिला अबकी मैं
उसके शहर में उसको,
चांॅद पे लगे दाग़ सा
घाव था उसके माथे पर

पूछने पर झिझकी,
िफर सिसकियों में बोली,
चोट खायी थी उसने
मेरे गुलों के गुलदस्ते से !